लेखनी प्रतियोगिता -28-Sep-2022..... सादगी....
पूजा कभी तो थोड़ा संवर लिया कर... बेटा ये दुनिया इतने साधारण से दिखने वालों को कभी पसंद नहीं करतीं.. आजकल दिखावे का जमाना हैं.... यहाँ भीतरी नहीं बाहरी सुंदरता को हमेशा तवज्जो दी जाती हैं...।
दादी.... मैं जैसी हूँ... खुद को पंसद हूँ...। दुनिया वालो की पसंद तो पल पल बदलतीं रहतीं हैं... उनके मुताबिक चलतीं रहीं तो जीना भी मुश्किल हो जाएगा...। पूजा पड़ोस की बुढ़ी औरत को कहते हुवे घर के भीतर आ गई.....।
पूजा एक बहुत ही साधारण सी दिखने वाली लड़की..। कहानी की दूसरी नायिकाओं से बिल्कुल अलग...। अलग इसलिए... क्योंकि ना वो बहुत ज्यादा गौरी थीं... ना उसकी बड़ी बड़ी आंखें थीं... ना आकर्षित करने वाले नैन नक्श थे... ना लंबे बाल...। बिल्कुल साधारण पहनावा.. और थोड़ा सा भी बाहरी आडंबर नहीं...।
ऐसा नहीं था की सजना संवरना उसे पसंद नहीं था...। सजना सौ वरना तो औरत का गहना होता हैं....। लेकिन कभी कभी हालात इंसान को वक्त से ज्यादा जिम्मेदार बना देता हैं....। पूजा के साथ भी ऐसा ही था...। बचपन में माँ बाप की एक सड़क दुर्घटना में मौत होने के बाद अपनी चाची निर्मला के साथ रहतीं थीं...। निर्मला ने कभी उसे वो प्यार और लाड दिया ही नहीं जो वो अपनी बेटी पिंकी को देतीं थीं...। लेकिन अपने पति निलेश की वजह से कभी खुलकर उसका विरोध भी नहीं कर सकती थीं....।पूजा ने अपना बचपन पिंकी की उतरन पहनकर निकाला... ना कभी उसने किसी बात की जिद्द की ना कभी उम्मीद रखी....। पढा़ई लिखाई में पिंकी से ज्यादा अव्वल होने की वजह से अक्सर उसे अच्छे नंबर लाने पर भी खरी खोटी सुननी पड़ती...। लेकिन समाज क्या कहेगा के डर की वजह से निर्मला ने दोनों बच्चियों को शिक्षा तो अच्छी दी...।
वर्तमान समय में पूजा ने हाल ही में कॉलेज की पढ़ाई खत्म की...। पिंकी को आगे पढ़ने के लिए विदेश भेजा गया...। लेकिन पूजा के बहुत आग्रह के बावजूद उसकी पढ़ाई छुड़वा कर उसे घर के कामों में लगा दिया गया...। विरोध करने का तो पूजा सोच भी नहीं सकतीं थीं..।
अपने साधारण व्यक्तित्व और पहनावे की वजह से स्कूल हो कॉलेज हो... या अड़ोस पड़ोस... हमेशा पूजा मजाक का पात्र बनाई जाती...।
वक्त अपनी रफ्तार से बढ़ता गया और एक साधारण सा घर परिवार देखकर उसके चाचा चाची ने उसका बेहद साधारण तरीके से विवाह करके अपनी सारी जिम्मेदारी उतार दी...।
पूजा का पति एक फैक्ट्री में काम करता था और नौ लोगों का सयुंक्त परिवार था..। आय कम होने के कारण पूजा ने भी घर से ही ट्यूशन क्लास का बोला...। जिसपर घर के बड़ों ने रजामंदी नहीं दी...। लेकिन पूजा के बार बार आग्रह करने पर आखिर कार उसे परमिशन मिलीं...। लेकिन इस शर्त के साथ की ज्यादा किसी से मेलमिलाप ना किया जाए...घर की मर्यादा में रहा जाए....। मर्यादा से मतलब घर की चार दिवारों में नजरबंद.... जो पूजा के ससुराल का एक अहम शासन था....। पूजा ने उसके लिए हां कर दी...।
पूजा का पढ़ाने का तरीका बहुत ही सरल और अच्छा था... और उसने फीस भी बाकी सभी से कम रखीं थीं...। इसलिए उसे बहुत कम समय में बहुत ज्यादा पहचान मिल गई थीं..। पड़ोस की सभी औरतें उसकी तारीफ करतीं थीं...। फोन पर मैसेज करके उनका अक्सर उत्साह बढ़ाती थीं...।
नवरात्रि का त्यौहार था... पहले तो यह सिर्फ गुजरात में खासकर मनाया जाता था... लेकिन बदलते वक्त के साथ अब यह पूरे देश में बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता हैं...।
पूजा का भी शादी के बाद यह पहला नवरात्रि था..। शादी से पहले तो कभी पूजा ने यह सब देखा ही नहीं था...। लेकिन इस बार उसे यह मौका मिलने वाला था... क्योंकि वो जहाँ रहतीं थीं उसी इलाके में नवरात्रि का प्रोग्राम रखा जाता था...और उससे बड़ी खुशी की बात इसलिए थीं की उसके ससुराल में सभी माता के भक्त थे तो सभी नवरात्रि के नौ दिन होने वाले प्रोग्राम को देखने जातें थे...।
पूजा इस बात से बहुत खुश थीं की आखिर कार उसे घर के बाहर निकल कर लोगों से मिलना मिलाना पहचान बनाना तो होगा...। पूजा इस बात से भी खुश थीं की जो सम्मान वहाँ की औरतें अक्सर मोबाइल में करतीं रहतीं हैं आज उनसे रुबरु मिलकर उनके बारे में जानने का आज पूजा को भी मौका मिलेगा...।
दिन ढला और रात हुई.... परिवार के कुछ बुजुर्गों को छोड़ कर सभी नवरात्रि के प्रोग्राम में शामिल हुए...।
परिवार के बाकी लोग गरबा में शामिल हो गए.... पर पूजा को नहीं आता था इसलिए वो पास रखी हुई कुर्सी पर बैठ गई...। थोड़ी देर में कुछ औरतें आई और उनसे पहचान करने लगीं... । लेकिन कुछ देर बाद ही सभी गरबे में शामिल हो गई...। पूजा काफी देर तक अकेले बैठी रहीं...। कुछ देर बाद पूजा ने नोटिस किया की सभी औरतें उसे नजर अंदाज कर रहीं हैं...। पूजा कुछ समझ नहीं पाई...। सभी औरतें आजकल का जो ट्रेंड चल रहा हैं सेल्फी युग...उसमें शामिल हो गई... लेकिन किसी ने भी पूजा की तरफ़ देखा तक नहीं... वो अकेले अकेले बैठकर उन सभी को देखकर खुश हुवे जा रहीं थीं...। कहीं ना कहीं पूजा की इच्छा भी थीं की वो भी इस चलन में शामिल हो... और उसे उम्मीद भी थीं की कोई ना कोई तो आएगा.. लेकिन पूजा का यह इंतजार... इंतज़ार तक ही रह गया...। सभी औरतें ऐसे बर्ताव कर रहीं थीं जैसे पूजा वहाँ है ही नहीं..। पूजा कुछ समझ नहीं पा रहीं थीं...।
वो उठकर पानी पीने के लिए पानी रखें हुवे स्थान पर गई....। वहाँ कुछ औरतें पहले से ही खड़ी थीं जो इस बात से अंजान थीं की उनके पीछे पूजा भी हैं... वो आपस में कह रहीं थी की.... हाय राम... ये वो टीचर हैं.... शक्ल से तो भिखारन लगतीं हैं.... ऐसी टीचर के पास अपने बच्चे पढ़ने जाते हैं... कपड़े तो देखो.... कितने साधारण से हैं... ऐसे कपड़े पहनकर कौन नवरात्रि में आता हैं... कोई क्लास ही नहीं हैं उसका...। ना शक्ल ना अक्ल...। खैर हमें क्या... चलो हम तो चले....।
वो सभी जैसे ही पलटी तो पीछे पूजा को देख कुछ पल खामोश हो गई... फिर मुंह मोड़ते हुवे गरबा में शामिल हो गई...। पूजा ने जो कुछ सुना उसके बाद उसे अपनी हर उलझन का जवाब मिल गया था और इंतजार का फल भी...।
पूजा ने किसी को कुछ नहीं कहा और माता की मूर्ति के सामने हाथ जोड़कर मन में कहा :- माँ... मुझे नहीं पता था आपके दरबार में भी सिर्फ अच्छे दिखने और सज संवर कर आने वालों को ही महत्व मिलता हैं...। माँ... मैं ऐसी ही हूँ.... मैं नहीं बदलना चाहतीं.... लेकिन अब शायद आपके दरबार में भी ना आ पाऊँ.... क्योंकि यहाँ आकर मुझे एक बार फिर अहसास हो गया की हम भीतर से चाहें कितने ही सुंदर हो.. महत्व तो सिर्फ बाहरी सुंदरता को मिलता हैं...। मुझे क्षमा करना माँ.... लेकिन मेरे लिए घर की चार दिवारी ही बहुत हैं...। सच हैं माँ की सादा जीवन.... सादा दिल.... और सादा पहनावा..... ये आजकल किसी को नहीं चाहिए....।
ऐसा कहकर पूजा बिना किसी को कुछ बोले अपने घर वापस चल दी....। लेकिन पूजा के वहाँ से चले जाने पर किसी को कोई फर्क नहीं पड़ा...। फर्क पड़ा तो सिर्फ पूजा को... जो वहाँ बहुत उम्मीदें लेकर आई थीं....।
Khushbu
05-Oct-2022 03:31 PM
Nice
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Palak chopra
29-Sep-2022 12:54 AM
Bahut khoob 💐👍
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आँचल सोनी 'हिया'
28-Sep-2022 01:52 PM
Bahut khoob 🙏🌺
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